Mujhe chaiye Tum
मुझे तुम चाहिए बिलकुल वैसे
जैसे तुम हो...मन_से_कर्म_से
अपने संस्कारो_से.....
जिसके समक्ष
मैं सिर्फ़ तन से नहीं
मन से भी नग्न हो जाता हूँ,,
उतार फेंकता हूँ सारे मुखौटे
भूल जाता हूँ पुरुष होने का दम्भ,,
रो देता हूँ ज़ार ज़ार
कहता हूँ कभी कभी
पुरुष हूँ मगर
पीड़ा अनुभव करता हूँ,,,,
चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह
तुम फेर दो हाथ बालों पर गालों पर
पुरूष होते हुए भी
कांधा चाहिए तुम्हारा
कभी कभी मुझे भी.....
तुम्हारा सिर्फ़ चमकता
दमकता_बदन ही नहीं
मुझे तुम चाहिए संपूर्ण....
जिसे प्रेम करते हुए
पूजा भी करता हूँ,,,,
वासना से नहीं श्रद्धा से
तुम्हारे चरणों को चूमता हूँ,,,,
तुम्हारे स्पर्श मात्र से
पुलकित हो उठता हूँ रोम_रोम मेरा
कर देता हूँ पूर्ण_समर्पण.......
और
विगलित हो जाए अस्तित्व मेरा
मैं तुम बन जाऊं
तुम मै बन जाओ,,,,
तुममें मैं नज़र आऊँ
तुम मुझमें नज़र आओ
हम शंकर का अद्वैत हो जाए..
#मुझे_तुम_चाहिए
बस.....
मुझे तुम वैसे प्रिती करो,
जिस तरह
मुझे तुम चाहिए बिलकुल वैसे
जैसे तुम हो...मन_से_कर्म_से
अपने संस्कारो_से.....
जिसके समक्ष
मैं सिर्फ़ तन से नहीं
मन से भी नग्न हो जाता हूँ,,
उतार फेंकता हूँ सारे मुखौटे
भूल जाता हूँ पुरुष होने का दम्भ,,
रो देता हूँ ज़ार ज़ार
कहता हूँ कभी कभी
पुरुष हूँ मगर
पीड़ा अनुभव करता हूँ,,,,
चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह
तुम फेर दो हाथ बालों पर गालों पर
पुरूष होते हुए भी
कांधा चाहिए तुम्हारा
कभी कभी मुझे भी.....
तुम्हारा सिर्फ़ चमकता
दमकता_बदन ही नहीं
मुझे तुम चाहिए संपूर्ण....
जिसे प्रेम करते हुए
पूजा भी करता हूँ,,,,
वासना से नहीं श्रद्धा से
तुम्हारे चरणों को चूमता हूँ,,,,
तुम्हारे स्पर्श मात्र से
पुलकित हो उठता हूँ रोम_रोम मेरा
कर देता हूँ पूर्ण_समर्पण.......
और
विगलित हो जाए अस्तित्व मेरा
मैं तुम बन जाऊं
तुम मै बन जाओ,,,,
तुममें मैं नज़र आऊँ
तुम मुझमें नज़र आओ
हम शंकर का अद्वैत हो जाए..
#मुझे_तुम_चाहिए
बस.....
मुझे तुम वैसे प्रिती करो,
जिस तरह मैं प्रेम करता हूँ
तुमसे...........मैं प्रेम करता हूँ
तुमसे.......
#𝙅𝙤𝙝𝙖𝙧𝙛𝙤𝙧𝙢𝙖𝙥𝙣𝙖𝙟𝙝𝙧𝙖𝙠𝙝𝙖𝙣𝙙𝙖𝙣𝙙𝙗𝙞𝙝𝙖𝙧
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