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Showing posts from January, 2022

Farming A Hope.

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The term " FARMING " is not only the act or process of working in the field, planting seeds and growing edible's but also the matter of humanity and the important piller of raising the human civilization. But it is the matter of great dissapoinment that the man who nurture the human civilization are always in problem and are paying the most for raising this human civilization. Every time "the food which we eat"                      "the food which we waste"                      "the food which we sell"                      "the food which we buy are not only" the hardwork of these farmers but also the great sacrifices of the months their patient, family and the most precious time. After the 50-60 years of Independence of our country. 50% of the total population is engaged in farming. According to National Crime...

old memories 📝

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ना जाने क्यों आई एक याद पुरानी ना साथी था ना संगी कोई थी वो बात पुरानी,  बीच भवर में थे हम और महज चंद रास्तो का था फास्ला अकेले थे हम और शायद टूट चुका था हौसला,  सालों बीती बातें ना जाने क्यों उस पल याद सी आने लगी बनके तन्हाई सीने में कहीं दूर ले जाने लगी,  जब गुजर रहे थे उस राह से तो अकेले बेशक नहीं थे हम मुड़ के देखे कई बार तुम्हें पर कहीं नहीं थे तुम,  ना तुम आये उस रोज ना आया तुम्हारा कोई पेगाम   हम खुद के थे और ये हमारा प्यारा गम।।  _palak priyam

prem purana

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वो प्रेम पुराण याद हैं अपना जब थे मंचले  साथ था अपना,  एक अपनी रचना सुना कर चंद शब्दो को पिरोया था,  और सुनाई जो वो मंचल कविता तब तुमने भी मुस्काया था, बड़ी नजाकत होले से ना जाने क्या बतलाया था?  और मधुर रात्रि की जग मग कियारी ने ना जाने कैसी फैलाई थी,  थी तुम बड़ी नकचढ़ी सी लड़की पर उस दिन मेरे कविता पे मुस्कायी थी, और स्याम सलोना रंगत थी तुम्हारी राते भी कुछ काली थी,  चमक रही थी एक चीज उस दिन हा याद  आया वो तुम्हारे मुस्कान की लाली थी ll

Ranbhumi Mahabharat

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एक दृश्य हम देख न पाये कुरुक्षेत्र की भूमि पे,  थे अपने अपने भाई खड़े उस अटल पंथ रन भूमि पे,  थे एक से दुरंधर एक पड़े उस अटल पंथ रणभूमि पे,  परिवार के भी ठुकडे हुएँ उस महा कुरुक्षेत्र की भूमि पे,  टुकड़े परिवार के कुछ ऐसे हुएँ जहा भाई भाई का नाता था,  एक हिस्से मे प्यार दूजे मे तकरार या समय का गाथा था,  थे तीनो पक्षों मे प्रबल था कौन इसका तुम सब ज्ञात ना करो,  भाई पे भाई टूटे थे समय की शक्ति को आघात ना करो, विचलित था मन पार्थ का अपनो को सामने देख  के अस्त्र सस्त्र सब सुन उस मौन समय के वाणी पर,  कुपित मन था पार्थ का और इच्छा शक्ति मर चुकी परिवार के प्रेम मे निर्बल होके हार जीत भी मर गई,  लीलाधर को ज्ञात हुआ समय का पहिया छुट रहा परिवार आदि के प्रेम मे पड़ाव का भी धीरज टूट रहा,  उठो पार्थ और मोह त्यागो इस रणभूमि का उद्धार करो स्त्री सम्मान की रक्षा हेतु नवीन इतिहास को अवान करो,  समझते हो जिनको तुम अपना है सभी ये मोह माया एक पंछी की भाती ये आत्मा पेड़ पेड़ बशेरा लगाते हैं मुझे जन्म लेकर ये सब पुनः मुझमे ही म...

Mujhe chaiye Tum

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  मुझे तुम चाहिए बिलकुल वैसे  जैसे तुम हो...मन_से_कर्म_से  अपने संस्कारो_से..... जिसके समक्ष  मैं सिर्फ़ तन से नहीं मन से भी नग्न हो जाता हूँ,, उतार फेंकता हूँ सारे मुखौटे भूल जाता हूँ पुरुष होने का दम्भ,, रो देता हूँ ज़ार ज़ार कहता हूँ कभी कभी  पुरुष हूँ मगर पीड़ा अनुभव करता हूँ,,,, चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह तुम फेर दो हाथ बालों पर गालों पर पुरूष होते हुए भी  कांधा चाहिए तुम्हारा  कभी कभी मुझे भी..... तुम्हारा सिर्फ़ चमकता दमकता_बदन ही नहीं मुझे तुम चाहिए संपूर्ण.... जिसे प्रेम करते हुए पूजा भी करता हूँ,,,, वासना से नहीं श्रद्धा से तुम्हारे चरणों को चूमता हूँ,,,, तुम्हारे स्पर्श मात्र से पुलकित हो उठता हूँ रोम_रोम मेरा कर देता हूँ पूर्ण_समर्पण.......  और विगलित हो जाए अस्तित्व मेरा मैं तुम बन जाऊं तुम मै बन जाओ,,,, तुममें मैं नज़र आऊँ तुम मुझमें नज़र आओ हम शंकर का अद्वैत हो जाए.. #मुझे_तुम_चाहिए बस..... मुझे तुम वैसे प्रिती करो, जिस तरह  मुझे तुम चाहिए बिलकुल वैसे  जैसे तुम हो...मन_से_कर्म_से  अपने संस्कारो_से..... जिसके सम...